ओ आकाश, सूर्य, चन्द्रमा
स्तुति करो सारा भूमंडल x 2
1. ध्रती की सारी हरियाली
नभ के ये सारे तारे x 2
चारों दिशाओं में झूम-झमू कर
आनन्द मनाएँ उसकी महिमा ओ आकाश ....
2. ओ, स्तुति करें उसकी
जिसने हमें नव-जीवन दिया x 2
पढ़-लिखकर नाम रोशन करें,
और बढ़ाएँ उसकी गरिमा । ओ आकाश ....