बूँद-बूँद मिलके बने लहर और लहर
लहर लहर मिलके बने सागर x 3 ओ
दूर पास तेरी दया मिलती निरंतर
भरते रहें अपनी मन की गागर x 3 ओ
2. सबके लिए प्रेम का हार तूने बनाया
लाये तूने सब के लिए शांति भरा मन
खोल दिये सब के लिए द्वार दया के
चाहे कोई बड़ा हो या छोटा या निर्बल
3. धूप जहाँ हमको लगे छाँव को तू
तेरे कदम जहाँ पड़े शीश झुकायें
प्यार मिले, न्याय मिले नाम से तेरे
जो भी मिले उसकी गले अपने लगायें ओ
4. तूने हमें दिया जो भगवान से पाया
दिया हमें एक नये मन का उजाला
तूने ही सिखलाई हमें प्यार की सेवा
जब भी कभी गिरने लगे तूने संभला
हो सर्व ध्र्म समन्वयम x 3 ओ हो ओ हा