हर तरफ हर जगह, हर कहीं पे है,
हाँ उसी का नूर आ
रोशनी का कोई दरिया तो है
हाँ कही पे जरूर
(1) ये आसमाँ, ये जमी, चाँद और सूरज
क्या बना सका है कभी कोई भी कुदरत
कोई तो है जिसके आगे है आदमी मजबूर
हर तरफ.............2
(2) इन्सान जब कोई है राह से भटका
इसने दिखा दिया उसको सही रास्ता
कोई तो है जो करता है मुश्किल हमारी दूर
हर तरपफ.............2